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क्यों भरत जी का दर्शन राम दर्शन से भी बड़कर है

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श्री भरत दर्शन  तेहि फल कर फलु दरस तुम्हारा।  सहित प्रयाग सुभाग हमारा॥ भरत धन्य तुम्ह जसु जगु जयऊ।  कहि अस प्रेम मगन मुनि भयऊ॥ यह चौपाई अयोध्यकांड में ऋषि भरद्वाज व भरत जी के संवाद से ली गई है चित्रकूट जाते वक्त जब भरत जी ऋषि भरद्वाज के आश्रम पहुँचते है तब भरद्वाज जी भरत जी को कहते है  हे भरत! सुनो, हम झूठ नहीं कहते। हम उदासीन हैं (किसी का पक्ष नहीं करते), तपस्वी हैं (किसी की मुँह देखी नहीं कहते) और वन में रहते हैं (किसी से कुछ प्रयोजन नहीं रखते)।  हमारी सारी तपस्या, हमारी समस्त साधना का फल है कि हमें लक्ष्मणजी, श्री रामजी और सीताजी का दर्शन प्राप्त हुआ (सीता-लक्ष्मण सहित श्री रामदर्शन रूप) इन सभी के दर्शनो का फल है कि हमें आपके दर्शन हुए! प्रयागराज समेत हमारा बड़ा भाग्य है। हे भरत! तुम धन्य हो, तुमने अपने यश से जगत को जीत लिया है। ऐसा कहकर मुनि प्रेम में मग्न हो गए जय श्री राम जय श्री भरत जी This Chaupai is an excerpt between Sage Bhardwaj and Shri Bharat Ji from Ayodhya Kand.  On his way to Chitrakoot, Bharat Ji reaches the ashram of Sage Bhardw...

Shri Bharat Ji - Supreme Devotee of God - परम स्नेही भरत जी

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परम स्नेही भरत  जी "भरत सरिस को राम सनेही। जगु जप राम रामु जप जेही" यह चौपाई अयोध्या कांड में इंद्र और ब्रहस्पति जी के संवाद से है जब इंद्र देव भरत जी के प्रेम भाव से विचलित हो देव गुरु से कहते है कि “ प्रभु कोई ऐसा उपाय कीजिए, जिससे भरत जी राम से मिल ही ना पाए “ तब देव गुरु ब्रहस्पति कहते है कि ऐसा करने का प्रयत्न तो दूर, इसके बारे में सोचें भी नहीं । क्योंकि जो भी भगवान राम के भक्त का अपराध करता है या उनसे छल करता है, वह श्री राम की क्रोधाग्नि में जल जाता है । "भरत जी तो प्रभु के परम स्नेही है सारा जगत श्री राम को जपता है पर वो स्वयं भरत जी को जपते है अर्थात् उन्हीं के ध्यान में मगन रहते है " | जय श्री राम जय श्री भरत जी "When Indra Dev is distracted by the love of Bharat ji towards Bhagwan Ram, He asks Dev Guru to find a way so that Bharat Ji cannot meet Ram" Then Dev Guru Brahaspati tells him that don't even think about it. Because whoever tries to deceive the devotees of Lord Rama, he gets burnt in the rage of Shri Rama. And Bharat Ji is the supre...

Bhaye Prakat Kripala - भगवान राम का जन्म - Hindi Bhajan Detailing Birth of Lord Rama

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ॐ श्री गणेशाये नमः भगवान राम का  जन्म      जैसे भगवान का नाम " राम " अति सरल है, वैसे ही भगवान का प्राकट्य समय भी बड़ा सौम्य सरल व समस्त लोकों को सुख देने वाला है  ।  उस समय ना अधिक धूप थी व ना अधिक सर्दी थी  । चैत्र मास शुक्ल पक्ष नवमी तिथि मध्याह्न के समय अभिजीत नक्षत्र में चारों तरफ़ सुगंधित शीतल व मन्द मन्द हवा बहने लगी  ।  नदियों में मानो अमृत धारा बह रही हो  ।  देवता और संतों का मन प्रसन्नता से झूम उठा  ।  गंधर्व प्रभु का यशोगान करने लगे  ।  ज़ोर ज़ोर से नगाड़े बजने लगे  ।      तब ब्रह्मा जी समस्त देवताओं के साथ आकाश में पहुँच कर भगवान की स्तुति करने लगे ।  तत्पश्चात् सब देवतागण प्रभु की विनती कर अपने अपने धाम को पहुँच गए  ।  इस प्रकारसमस्त  लोकों को विश्राम देने वाले जगन्निवास प्रभु का जन्म हुआ  तो आइए हम  भगवान  राम  के जन्म समय की इस अदभुत स्तुति का  पाठ करते है - गायन करते है  सुर समूह बिनती करि पहुँचे निज निज धाम। जगनि...

Jai Jai Sur Nayak - भगवान विष्णु कीअतिप्रिय स्तुति - ब्रह्माजी द्वारा वर्णित

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ॐ श्री गणेशाये नमः      त्रेता युग में महाबली रावण के डर से सभी देवगण छुप कर एक गुप्त स्थान पर रहने लगे । माँ पृथ्वी भी उसके अत्याचारों से त्रस्त होकर (कामधेनु रूप में) उन देवताओं के पास जा पहुँची । तब वे सभी देवगण और माँ पृथ्वी ब्रह्मा जी के पास जाकर करुण क्रंदन करते हुए अत्यंत विलाप करने लगे ।      ब्रह्मा जी ने कहा कि “ हे भू देवी, जो सबके पालन हार है, वही भगवान विष्णु ही इस विपत्ति का निवारण कर सकते है ।      अब सभी देवता विचार करने लगे कि भगवान विष्णु को कहाँ खोजे , हम किस प्रकार उन तक पहुँचे - क्षीर सागर जाए या वैकुण्ठ जाए ,  भगवान तो चौदह भवन विहारी है , हम किस प्रकार उन तक पहुँच सकते है । इस भावावेश में वो सभी देवगण अत्यंत  व्यथित हो गए ।      उसी सभी में भगवान भोलेनाथ भी उपस्थित थे । भगवान शिव ने ब्रह्मा जी व सभी देवताओं को सम्बोधित कर कहा के “ ऐसा कौन सा स्थान है , जहां भगवान विष्णु नहीं है । जहां भी उनके भक्त प्रेम से उन्हें पुकारते है , भगवान विष्णु अपने भक्तों का दुःख हरने तुरंत ही वहाँ पहुँच जाते है । भग...

दरिद्रता दूर करने के लिए - रामचरितमानस मानस के अचूक उपाय > रामचरितमानस की इन आठ चोपाइयों के नित्य पाठ से आप के घर में कभी दरिद्रता नहीं आएगी

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ॐ श्री गणेशाये नमः वर्णानामर्थसंघानां रसानां छन्दसामपि। मंगलानां च कर्त्तारौ वन्दे वाणीविनायकौ ॥   जय श्री राम यदि आप अपने घर में भाव और श्रद्धा से इन आठ चोपाइयों का नित्य पाठ करेंगे तो मेरा मानना है कि आप के घर में कभी दरिद्रता नहीं आएगी  । परम पूज्य संत श्री डोंगरे जी महाराज कहा करते थे जिस परिवार में इन आठ चोपाइयों का नित्य पाठ होता है उस परिवार में अमीरी कितनी आएगी, ये तो नहीं कह सकते पर उस परिवार में दरिद्रता कभी नहीं आएगी  ।  यह चोपाइयाँ श्री रामचरितमानस के अयोध्या कांड के आरम्भ में ही है ।  मात्र ५ मिनट में इनका पाठ पूर्ण हो जाता है । मात्र ५ मिनट के श्रद्धापूर्वक पाठ से निश्चित ही आप का कल्याण होगा। भगवान राम की कृपया प्राप्त होगी ।  आइए हमारे साथ इन आठ चोपाइयों का पाठ  करते है - गायन करते है   । जब तें रामु ब्याहि घर आए। नित नव मंगल मोद बधाए॥1॥ भुवन चारिदस भूधर भारी। सुकृत मेघ बरषहिं सुख बारी॥2॥ रिधि सिधि संपति नदीं सुहाई। उमगि अवध अंबुधि कहुँ आई॥3॥ मनिगन पुर नर नारि सुजाती।  सुचि अमोल सुंदर सब भाँती॥4॥ कहि न जाइ कछु नगर बिभूती...