Shri Bharat Ji - Supreme Devotee of God - परम स्नेही भरत जी
परम स्नेही भरत जी
"भरत सरिस को राम सनेही।
जगु जप राम रामु जप जेही"
यह चौपाई अयोध्या कांड में इंद्र और ब्रहस्पति जी के संवाद से है
जब इंद्र देव भरत जी के प्रेम भाव से विचलित हो देव गुरु से कहते है कि “ प्रभु कोई ऐसा उपाय कीजिए, जिससे भरत जी राम से मिल ही ना पाए “
तब देव गुरु ब्रहस्पति कहते है कि ऐसा करने का प्रयत्न तो दूर, इसके बारे में सोचें भी नहीं । क्योंकि जो भी भगवान राम के भक्त का अपराध करता है या उनसे छल करता है, वह श्री राम की क्रोधाग्नि में जल जाता है ।
"भरत जी तो प्रभु के परम स्नेही है
सारा जगत श्री राम को जपता है
पर वो स्वयं भरत जी को जपते है अर्थात् उन्हीं के ध्यान में मगन रहते है "
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जय श्री राम
जय श्री भरत जी
"When Indra Dev is distracted by the love of Bharat ji towards Bhagwan Ram, He asks Dev Guru to find a way so that Bharat Ji cannot meet Ram"
Then Dev Guru Brahaspati tells him that don't even think about it. Because whoever tries to deceive the devotees of Lord Rama, he gets burnt in the rage of Shri Rama.
And
Bharat Ji is the supreme devotee of God
The whole world chants Shri Ram But he himself chants Bharat Ji. Ram is always keeps on thinking about Bharat Ji and he loves him the most."
#JaiShreeRam
#RamayanChaupai
#ShriBharatSharnam
अति सुंदर
ReplyDeleteजय श्री राम
जय श्री भरत जी